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मकान मालकिन भाभी को बिस्तर पर चोदा

मेरा नाम सुनील है, मैं शामली का रहने वाला हूं मैं अभी कॉलेज की पढ़ाई कर रहा हूं। यह मेरे कॉलेज का आखरी वर्ष है इसलिए मैं अभी से अपनी नौकरी के लिए बात कर रहा हूं। मैंने अपने दोस्तों से भी बात की है क्योंकि मैं दिल्ली में ही नौकरी करने वाला हूं। मेरे कुछ दोस्त हैं वह लोग दिल्ली में नौकरी करते हैं, मैंने उनसे अपनी नौकरी की बात कर ली है। मैंने उन्हें कहा कि जैसे ही मेरा कॉलेज खत्म होगा उसके बाद मैं दिल्ली आ जाऊंगा। जब मैंने उनसे यह बात कही तो वह लोग कहने लगे तुम अपना कॉलेज खत्म कर लो उसके बाद तुम जल्दी ही आ जाना क्योंकि मुझे भी दिल्ली में ही काम करना है। मैंने अब अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ली थी और मैं कुछ दिनों तक घर पर ही था।


मैंने अपने एक दोस्त से बात की तो वह कहने लगा कि तुम दिल्ली आ जाओ, मैं तुम्हारे लिए रहने का भी बंदोबस्त करवा दूंगा और तुम्हारे लिए मैं कहीं पर नौकरी भी देख लेता हूं। मैंने उसे अपना रिज्यूम भेज दिया और उसने मुझे कहा कि तुम कुछ दिनों बाद दिल्ली आ जाना। कुछ दिन बाद मैं दिल्ली चला गया और जब मैं दिल्ली गया तो मेरा दोस्त मुझे मिला, वह कहने लगा कि तुम अगले स्टैंड पर उतर जाना। उसने मेरे लिए अपने दोस्त से बात कर ली, मैं उसी के साथ रुका हुआ था। जिस घर में मैं रुका था वहां पर जो भैया थे उनका नाम राजेश है। वह वहां के ओनर हैं, वह बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं। मुझे वहां पर रहते हुए कुछ ही दिन हुए थे। उनका मेरे साथ व्यवहार बहुत अच्छा था और वह मुझसे बहुत ही अच्छे से बात करते थे। वह मुझसे पूछने लगे कि तुम यहां पर कहीं काम कर रहे हो या अभी काम की तलाश कर रहे हो, मैंने उन्हें कहा कि मेरे दोस्त ने एक जगह मेरे लिए इंटरव्यू की बात की है मैं वहीं पर इंटरव्यू देने वाला हूं, यदि मेरी नौकरी वहां लग जाती है तो मैं वही नौकरी करूंगा। वह कहने लगे तुम मुझे भी अपना रिज्यूम दे देना, मैं भी अपनी कंपनी में बात कर लूंगा।

मैंने उन्हें भी अपना रिज्यूम दे दिया और जहां पर मेरे दोस्त ने बताया था उस जगह पर मै इंटरव्यू देने के लिए चला गया। मेरा वहां पर सलेक्शन हो गया और मैं बहुत खुश था। मैंने अपने दोस्त को फोन किया और कहा कि मेरा सलेक्शन उस ऑफिस में हो गया है जहां पर तुमने मुझे भेजा था। वह कहने लगा कि वहां पर तुम कुछ समय तक काम करोगे तो तुम्हारी सैलरी भी अच्छी हो जाएगी। मैंने उसे कहा फिलहाल तो मुझे अपने खर्चे के लिए पैसे चाहिए। अब मेरी नौकरी लग गई है तो मैं निश्चिंत हो गया हूं। मैं अपने काम में जाने लगा और मेरे साथ जो लड़का रहता था वह कहीं और रहने लगा था इसीलिए मैं अकेले रहता था। राजेश भैया और उनकी पत्नी मुझे बहुत अच्छा मानते थे इसलिए मेरी जिस दिन छुट्टी होती उस दिन वह लोग मेरे लिए खाना बना देते थे। उनकी शादी को भी ज्यादा समय नहीं हुआ था और वह दोनों ही घर में रहते थे। उनके माता-पिता गांव में रहते हैं और उनके पिताजी ने रिटायरमेंट के बाद उनके लिए वह घर लिया था। राजेश भैया और उनकी पत्नी मंजू भाभी का व्यवहार बहुत ही अच्छा था, वह लोग पूरी कॉलोनी में बहुत ही शांत तरीके से रहते थे। मेरी जब छुट्टी होती तो उस दिन भैया मेरे साथ बैठ जाया करते थे और वह शराब पीने के बहुत शौकीन हैं, वह मेरे साथ ही शराब पीते थे और उसके बाद अपने घर में जाकर सो जाते थे। मैंने उनके और मंजू भाभी के बीच में कभी भी झगड़ा होते नहीं देखा और वह लोग बहुत ही अच्छे से रहते हैं। मैं अपने ऑफिस में जाता था और उसके बाद शाम को मैं अपने ऑफिस से घर लौट आता था। मुझे जब भी देर होती तो मंजू भाभी मेरे लिए खाना बना कर रखती थी और वही मुझे खाना दे दिया करती थी। कभी वह मेरे कमरे में मेरे लिए खाना ले आती और कभी मैं उनके घर पर ही खाना खा लेता था। एक बार मेरे माता-पिता मुझे कहने लगे कि हम कुछ दिनों के लिए दिल्ली आने वाले हैं क्योंकि हमारे किसी रिश्तेदार के घर पर शादी थी। जब मेरे माता पिता मेरे पास आए तो वह लोग बहुत खुश हुए। मैंने उन्हें राजेश भैया और मंजू भाभी से भी मिलवाया। वह उन्हें देखकर बहुत खुश हुए और कहने लगे कि यह लोग तो बहुत ही अच्छे हैं।

मंजू भाभी ने हीं मेरे माता-पिता के लिए खाना बनाया था और उन्होंने उस दिन मेरे घर की भी सफाई की। मैंने राजेश भैया से भी कहा कि आप लोग भी हमारे साथ शादी में चलिए, वह लोग हमारे साथ शादी में आ गए और हम लोगों ने उस शादी को बहुत इंजॉय किया। राजेश भैया और मैंने तो शराब पी ली थी इसलिए हम दोनों ने जमकर डांस किया और मेरे माता-पिता के साथ मंजू भाभी बहुत खुश थी क्योंकि उनके साथ मेरी मां ही ज्यादा देर तक थी। अब हम लोग वहां से वापस लौट आये और मेरे माता-पिता भी कुछ दिनों बाद घर लौट गए। मुझे अकेले बहुत ही बुरा लग रहा था क्योंकि काफी समय बाद मेरे माता-पिता मुझसे मिलने आए थे। मैंने यह बाद मंजू भाभी से भी कहीं, वह कहने लगी ऐसा तो होता ही है। मैं भी जब अपने घर जाती हूं तो मुझे भी वापस आने का मन नहीं करता। मंजू भाभी मुझे बहुत समझाती थी और जब भी मैं कुछ टेंशन में होता तो वह ही मुझे बहुत समझाया करती थी और मुझे जब भी कुछ जरूरत पड़ती तो मैं राजेश भैया को बोल देता था, वह मेरी मदद कर दिया करते थे। उन्होंने मेरी बहुत मदद की इसीलिए मेरा उन लोगों से घरेलू संबंध बन गया था और मैं उनके घर पर एक घर के सदस्य की तरह ही रह रहा हू। मेरी हमेशा ही वही दिनचर्या थी। सुबह मैं ऑफिस जाता और शाम को मैं ऑफिस से लौटता था। एक दिन मुझे ऑफिस से आने में बहुत लेट हो गई थी उस दिन मै जब घर पहुंचा तो मंजू भाभी मुझसे पूछने लगी है आज तुम बहुत लेट से आ रहे हो।

मैंने उन्हें कहा कि आज ऑफिस में कुछ ज्यादा काम था इसलिए मुझे लेट हो गई मैंने उनसे पूछा कि राजेश भैया कहां है। वह कहने लगी कि आज वह नहीं आएंगे वह कल सुबह आएंगे क्योंकि उनकी नाइट में जॉब लगी है। मैं अपने कमरे में नहाने के लिए चला गया और जब मैं नहा कर बाहर निकला तो मंजू भाभी मुझे कहने लगी कि तुम खाना खा लो। मैं अब उनके घर पर खाना खाने के लिए चला गया जब मैं खाना खा रहा था तो उस वक्त वह अपने कमरे में बैठी हुई थी। मैंने जब खाना खा लिया तो मैं उनके कमरे में गया उन्होंने अपने पैर चौड़े किए हुए थे उनकी मैक्सी से उनकी चूत दिखाई दे रही थी। मैंने उनकी चूत देखी तो मेरा मूड खराब हो गया और मैं अंदर चला गया जब मैं अंदर गया। जैसे ही मैंने उनकी चूत पर हाथ लगाया तो वह भी गर्म हो गई और उनसे भी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हुआ। मैंने उन्हें उनके बिस्तर पर लेटा दिया और उनके होठों को मैं चूमने लगा काफी देर तक मैंने उनके होंठों का रसपान किया। उसके बाद मैंने उनकी मैक्सी को उतार दिया और उनके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। मैंने उनकी चूत पर अपने लंड को लगा दिया उनकी योनि बहुत ज्यादा गर्म हो रखी थी और जैसे ही मैंने अपने लंड को उनकी योनि के अंदर डाला तो वह चिल्लाने लगी मेरा लंड उनकी योनि के पूरे अंदर तक जा चुका था। मैं अपने लंड को उनकी योनि के अंदर बाहर करता तो उन्हें भी पूरा मजा आता और वह मेरा पूरा साथ दे रही थी मुझे भी बहुत अच्छा महसूस होने लगा। मैंने उन्हें बिस्तर पर ही उल्टा लेटा दिया जैसे ही उनकी योनि के अंदर मैंने अपने लंड को डाला तो वह चिल्लाने लगी। वह अपनी चूतडो को ऊपर की तरफ करती जाती तो मैं उन्हें बड़ी तेज झटको से नीचे कर देता। मैंने उनकी बड़ी-बड़ी चूतडो को कसकर पकड़ लिया था और बड़ी तेजी से मैं उन्हें झटके दिए जाता। उन्हें भी बहुत आनंद आ रहा था जब मैं झटके मार रहा था उनका शरीर गर्म हो चुका था और वह पूरी मचलने लगी थी। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था जब वह इस प्रकार से मचल रही थी और उनका बदन देखकर तो मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था। 10 मिनट बाद मेरा माल उनकी योनि के अंदर ही गिर गया। मैं उनके ऊपर ही लेटा हुआ था उनकी बड़ी बड़ी चूतडो से मेरा माल बाहर की तरफ निकल रहा था।

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