Hindi Sex Story

Ignite your desires with Hindi sex stories, sizzling chudai kahaniyan, and antarvasna kahani! Crave bhabhi sex stories, steamy padosan chudai kahani, and wild chut gand chudai. Claim your free Hindi sex stories, hot bhabhi chudai, and dive into erotic fantasies today!

  • Home
  • Static Page
  • Dropmenu
    • Dropmenu 1
    • Dropmenu 2
    • Dropmenu 3
    • Dropmenu 4
    • Dropmenu 5
  • Dropmenu
    • Dropmenu 1
    • Dropmenu 2
    • Dropmenu 3
    • Dropmenu 4
    • Dropmenu 5
  • Dropmenu
    • Dropmenu 1
    • Dropmenu 2
    • Dropmenu 3
    • Dropmenu 4
    • Dropmenu 5
  • Button
  • Error
  • Surprise Me
Antarvasna Desi Kahani desi sex kahani desi sex stories Desi Sex Videos free sex kahani Hindi Sex Stories Hindi Sex Videos indian sex stories Indian Sex Videos kahani kamvasna xxxvasna पुणे की बस में शॉल के अंदर - Hindi Sex Stories

पुणे की बस में शॉल के अंदर - Hindi Sex Stories

hindi sex kahani babhi chachi padosi chudai

मेरा नाम वरुण है, सोलापुर में रहता हूँ। उस वक्त मेरी उम्र 31 साल थी, अब 33 हो गई। शादीशुदा हूँ, हाइट 5’9”, वजन 70 किलो, ना ज्यादा मोटा ना स्लिम, बिल्कुल नॉर्मल देसी मर्द। लंड भी मीडियम ही है, 5 इंच का, पर काम ठीकठाक कर लेता है। वो दिसंबर का महीना था, ठंड जोरों पर। मुझे पुणे कम्पनी के काम से जाना था। शाम के चार बज चुके थे, मैं सोलापुर स्टैंड पर पहुँचा। एक के बाद एक बस आती, सब पैक। खड़े होकर सात-आठ घंटे का सफ़र कोई शौक नहीं था।

फिर एक लग्जरी बस नहीं, साधारण ST बस आई। उसमें सिर्फ लास्ट रो में एक सीट खाली थी। विंडो पर एक औरत बैठी थी, उम्र 30-32 के आसपास, गोरा रंग, चेहरा बेहद खूबसूरत, होंठ गुलाबी, आँखें बड़ी-बड़ी। हाइट 5’4” के करीब, स्लिम पर उभरे हुए हिस्से। नीले रंग की सलवार-कमीज, दुपट्टा गले में लिपटा हुआ, गले में मंगलसूत्र चमक रहा था। उसके बगल वाली सीट पर उसका बड़ा-सा ट्रैवल बैग रखा था। मैंने विनम्रता से कहा, “बहनजी, बैग नीचे या ऊपर रख दीजिए ना, बैठने की जगह नहीं है।” वो पहले तो मुँह फेर कर बोली, “नहीं, मैनेज हो जाएगा।” कंडक्टर चिल्लाया, “अरे मैडम, बैग नीचे रख दो, बंदा खड़ा है।” बेमन से उसने बैग पैरों के पास रख लिया। मैं उसके बगल में धम्म से बैठ गया।

बैठते ही प्रॉब्लम शुरू। बैग इतना बड़ा था कि उसके दोनों घुटने फैले हुए थे, उसकी जांघें मेरी जांघों से चिपक गई थीं। सलवार का मुलायम कपड़ा, उसकी गर्माहट साफ महसूस हो रही थी। मैंने थोड़ा साइड होने की कोशिश की, पर लास्ट सीट थी, कहीं जाने का स्पेस नहीं। वो भी असहज थी, पर कुछ बोल नहीं रही थी। बस चली।

पहले आधे घंटे तक हम दोनों चुप। फिर बस के झटकों से हमारा टकराव बढ़ने लगा। हर गड्ढे में उसकी जांघ मेरी जांघ से रगड़ खाती। मैंने महसूस किया कि वो हल्के-हल्के सिकुड़ रही है, पर हट नहीं रही। ठंड बढ़ रही थी, मैंने स्वेटर निकाला। स्वेटर पहनते वक्त मेरी कोहनी उसके बूब्स के साइड से टकराई। साफ महसूस हुआ, ब्रा के अंदर निप्पल कड़क हो चुके थे। उसने सिर्फ हल्का सा “उँह” किया, पर ना हटी, ना कुछ बोली।

मैंने हिम्मत करके कहा, “बैग को थोड़ा और साइड कर दूँ? आपको तकलीफ हो रही होगी।” वो पहली बार मुस्कुराई, “हाँ, थोड़ा दिक्कत है।” मैं झुका, उसका बैग ठीक किया। अब उसके पैर थोड़े एकसाथ हुए, पर अब भी जांघें हल्की-हल्की टच हो रही थीं। उसने धीरे से कहा, “थैंक यू…” मैंने मुस्कुरा कर कहा, “कोई बात नहीं, नाम तो बताइए अपना?” वो हल्का सा शरमाई, “प्रिया…” “वरुण” मैंने हाथ मिलाने को आगे बढ़ाया, उसने हल्के से हाथ मिलाया, उसकी उँगलियाँ ठंडी थीं।

बस 5:30 बजे चली। एक-एक स्टेशन पार होते गए। लोग उतरते गए। हाइवे पर रोड का काम चल रहा था, बस हर गड्ढे में उछल रही थी। अंधेरा हो चुका था। लाइट्स ऑफ कर दी गई थीं। अब लास्ट की तीन-चार सीटें ही भरी थीं। ठंड बहुत थी, मैंने अपना शॉल निकाला। प्रिया ने भी अपना मोटा शॉल लपेट लिया।

एक बड़े गड्ढे में बस झटकी, हम दोनों उछले। वापस बैठते वक्त उसका कंधा मेरे कंधे से टकराया, और उसकी जांघ पूरी तरह मेरी जांघ पर चिपक गई। मैंने हल्के से अपना दायाँ हाथ उसकी जांघ पर रख दिया, जैसे संयोग से। वो सिहर गई, पर हाथ नहीं हटाया। मैंने धीरे-धीरे हल्का सा सहलाना शुरू किया। वो साँसें तेज लेने लगी। मैंने कान में फुसफुसाया, “ठंड बहुत है ना?” वो सिर्फ “हम्म” किया।

मैंने हिम्मत बढ़ाई, हाथ को ऊपर की तरफ सरकाया, उसकी जांघ के अंदरूनी हिस्से को सहलाने लगा। उसकी साँसें और तेज। मैंने धीरे से उसकी सलवार के नाड़े पर उंगली फेरते हुए पूछा, “प्रिया… डर लग रहा है क्या?” वो आँखें बंद करके बोली, “नहीं… बस… थोड़ा अजीब लग रहा है…” मैंने कहा, “अजीब अच्छा वाला ना?” वो हल्का सा मुस्कुराई, “शायद…”

मैंने हाथ को कमीज के निचले किनारे से अंदर सरका दिया। उसकी नंगी कमर को छुआ, गर्म थी। उँगलियाँ ऊपर बढ़ाईं, ब्रा के नीचे से बूब्स को पकड़ लिया। उसने हल्की सी सिसकारी ली, “आह्ह… वरुण… कोई देख लेगा…” मैंने कहा, “लास्ट सीट है, कोई नहीं देख रहा, और अंधेरा भी है।” मैंने ब्रा को ऊपर सरका दिया, उसके नंगे बूब्स हाथ में आ गए। निप्पल्स पत्थर जैसे कड़क। मैंने उन्हें उँगलियों से मसलना शुरू किया। वो मेरे कंधे पर सिर रखकर सिसकने लगी, “उफ्फ्फ… कितने दिन बाद किसी ने छुआ है… आह्ह्ह…”

मैंने उसका मंगलसूत्र छुआ और गंदी बात शुरू की, “मंगलसूत्र है फिर भी इतना पानी छोड़ रही हो प्रिया… तुम्हारे पति को पता चले तो?” वो हाँफते हुए बोली, “वो बाहर रहते हैं… साल में एक-दो बार आते हैं… छुए तो महीनों हो गए… आह्ह… जोर से दबाओ ना…” मैंने दोनों बूब्स को अच्छे से मसलते हुए निप्पल्स को खींचा, “कितने सख्त हैं तेरे निप्पल यार… पूरा लंड खड़ा हो गया मेरा…” वो हल्के से हँसी, “पता है… महसूस हो रहा है…”

मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया। वो सहला कर बोली, “बड़ा गरम है…” अब मैंने उसकी सलवार के ऊपर से चूत को सहलाना शुरू किया। वो काँपने लगी। सलवार के बीच में गीली लकीर बन गई थी। मैंने दो उँगलियों से क्लिट को रगड़ना शुरू किया। वो मेरे कंधे को काटने लगी, “आह्ह्ह… वरुण… बस करो… झड़ जाऊँगी… ओह्ह्ह्ह…” मैंने स्पीड बढ़ाई, “झड़ जा प्रिया… आज तेरी चूत का पूरा रस निकालूँगा…” वो अचानक अकड़ गई, पूरी बॉडी में झटके आए, “आह्ह्ह्ह… ऊउइईईई… आ गया… आह्ह्ह…” सलवार के अंदर पानी की बौछार। वो पसीने से तर थी।

उसने संतुष्ट आँखों से मुझे देखा। मैंने कहा, “अब मेरी बारी?” वो शरमाते हुए बोली, “ठंड बहुत है… शॉल के अंदर आ जाओ ना…” मैं शॉल के अंदर घुस गया, हम चिपक कर बैठे। उसने अपना सिर मेरी जांघ पर रख दिया। मैंने सोचा अब सोएगी। पर उसने मेरी पैंट की जिप धीरे से खोली, लंड बाहर निकाला और सहलाने लगी। “कितना सख्त है तेरा… आज तो मुंह में लेने का मन कर रहा है…” मैंने उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहा, “ले ना प्रिया… पूरा मुंह में ले ले…”

बस में लाइट जली, हम अलग हो गए। वो फोन पर किसी को बोली, “हाँ पहुँच गई… 40 मिनट लगेंगे…” फोन रखकर मेरी तरफ देखकर मुस्कुराई, “अभी टाइम है…” लाइट फिर ऑफ हुई। वो फिर सिर मेरी जांघ पर रखकर लंड मुंह में ले लिया। ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… गोग… पूरा लंड गले तक ले रही थी। जीभ सुपारे पर घुमा रही थी। मैंने उसके सिर को दबाते हुए कहा, “चूस प्रिया… पूरा माल पी लेना आज…” वो बीच-बीच में लंड निकाल कर बोली, “तेरा तो बहुत स्वाद है… मेरे पति का भी ऐसा होता तो रोज चूसती…” फिर और जोर-जोर से चूसने लगी। मैंने कहा, “बस… आने वाला है…” वो और तेज, “मुंह में ही दे दे… पूरा…” मैं झड़ गया, पूरा माल उसके मुंह में। उसने एक बूंद नहीं गिरने दी, पर निगला नहीं, खिड़की से बाहर थूक दिया।

फिर हमने फोन नंबर लिए। पुणे स्टैंड पर उतरे। जाते-जाते उसने कहा, “अगली बार फिर इसी बस में मिलना… लास्ट सीट बुक कर लेंगे…” मैंने मुस्कुरा कर कहा, “पक्का प्रिया… अगली बार चूत के अंदर तक ले जाऊँगा…” वो शरमाकर चली गई। लेकिन बाद में हमे कभी मौका नहीं मिला। आज भी जब वो बस देखता हूँ तो लंड खड़ा हो जाता है।

Admin
Add Comment
Antarvasna, Desi Kahani, desi sex kahani, desi sex stories, Desi Sex Videos, free sex kahani, Hindi Sex Stories, Hindi Sex Videos, indian sex stories, Indian Sex Videos, kahani, kamvasna, xxxvasna
Dec 8, 2025
  • Tweet
  • Share
  • Share
  • Share
  • Share

Message from Admin

The posts and content on this website are provided for entertainment purposes only. Any resemblance to actual persons, living or dead, or actual places, events, or locales is entirely coincidental Hindi sex stories Chudai kahaniyan Antarvasna kahani Bhabhi sex stories Padosan chudai kahani Chut gand chudai Free Hindi sex stories Hot bhabhi chudai Dive into erotic fantasies

Related Posts

Most Read Stories

  • टाइट योनि में लिंग डालने का तरीका और टिप्स
  • हॉट सेक्स पोजीसन और सेक्स करने के तरीके
  • विधवा भाभी को चोद कर गर्भवती किया
  • भाई ने चोदी मेरी बुर खेत में
  • भाई से धोखा करके भाभी को चोदा
  • अपनी बहन की गांड मे अपना लंड डाला
  • अपनी प्यासी चूत के लिए जवान लंड खोज लिया
  • Sex Positions From The Kama Sutra You Must Give A Try
  • गर्लफ्रेंड की अकेले में कड़क चुदाई
  • कॉलेज गर्ल चुदाई मेरे घर पर आकर
Copyright © 2015 Hindi Sex Story
Created By Arlina Design | Distributed By My Blogger Themes